मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने भी नाराजगी जताई थी। उसको लेकर विदेश से आए उलमा ने देवबंद पहुंचकर दारुल उलूम के मोहतमिम सहित अन्य पदाधिकारियों से मुलाकात कर विवाद का पटाक्षेप करने का प्रयास किया था। विवादों के चलते दारुल उलूम में तब्लीगी जमात के आने पर पाबंदी तक लगा दी गई थी।
मौलाना साद से जुड़े रहे हैं विवाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने से लेकर उसके बाद तक मौलाना साद से विवाद जुड़े रहे हैं। आरोप है कि तब्लीगी जमात का प्रमुख बनने के लिए मौलाना साद ने जमात के अन्य लोगों की राय को नजरअंदाज किया और नई परंपराएं शुरू की। उनकी तकरीर पर भी विवाद हुआ था। तब दारुल उलूम देवबंद ने …
कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र से ही हुई है। काफी समय तक वह सहारनपुर में भी रहे।
कांधला में साल में एक या दो बार आना जाना तब्लीगी जमात के प्रमुख मौलाना साद के पिता हारून थे और दादा मौलाना यूसुफ। कांधला में छोटी नहर के पास एक मकान मौलाना साद के परिचितों का है, जो बंद रहता है। वह मकान सिर्फ तभी खुलता है जब मौलाना साद साल में एक या दो बार यहां आते हैं। मौलाना साद की पढ़ाई दिल्ली क…
कांधला निवासी मौलाना राशिद कांधलवी बताते हैं कि 1938 में तब्लीगी जमात की शुरुआत हुई थी। तब कांधला और थानाभवन के अलावा रामपुर के लोग इसमें शामिल हुए थे। सबसे पहली जमात कांधला के लोगों की ही निकाली गई थी। उन्होंने कांधला में आकर जमात का कार्य किया था।
कांधला निवासी मौलाना राशिद कांधलवी बताते हैं कि 1938 में तब्लीगी जमात की शुरुआत हुई थी। तब कांधला और थानाभवन के अलावा रामपुर के लोग इसमें शामिल हुए थे। सबसे पहली जमात कांधला के लोगों की ही निकाली गई थी। उन्होंने कांधला में आकर जमात का कार्य किया था।
वहीं 1995 में मौलाना इनामउल हसन का इंतकाल हुआ, जिसके बाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने को लेकर विवाद भी हुआ था। 2015 में मौलाना जुबैर का इंतकाल होने पर कमेटी में अब्दुल वहाब ही बचे। खाली पदों को भरने के लिए भी विवाद हुआ और दो गुट बन गए। दूसरे गुट ने अलग होकर तुर्कमान गेट पर मस्जिद से जमात का काम शुरू कर दिया। तब से मौलाना साद ही तब्लीगी जमात के प्रमुख की जिम्मेदारी संभालते रहे।
वहीं 1995 में मौलाना इनामउल हसन का इंतकाल हुआ, जिसके बाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने को लेकर विवाद भी हुआ था। 2015 में मौलाना जुबैर का इंतकाल होने पर कमेटी में अब्दुल वहाब ही बचे। खाली पदों को भरने के लिए भी विवाद हुआ और दो गुट बन गए। दूसरे गुट ने अलग होकर तुर्कमान गेट पर मस्जिद से जमात का काम शुरू…
दरअसल, तब्लीगी जमात की शुरुआत 1927 में बताई जाती है। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में इसका मरकज (अंतरराष्ट्रीय केंद्र) है, जहां से दुनियाभर के लिए जमात भेजी जाती हैं। तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद मूल रूप से शामली के कांधला कस्बा निवासी हैं। पूर्व में मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास, फिर मौलाना यूसुफ और 1965 में मौलाना यूसुफ का इंतकाल होने के बाद मौलाना इनामउल हसन ने तब्लीगी जमात की जिम्मेदारी संभाली। मौलाना इनामउल हसन ने 1993 में दस सदस्यों की कमेटी बनाई, जिसमें अलग- अलग देशों के लोगों को शामिल किया। भारत से मौलाना इनामउल हसन, मौलाना साद, मौलाना जुबैर और मौलाना अब्दुल वहाब को जगह दी गई थी।
दरअसल, तब्लीगी जमात की शुरुआत 1927 में बताई जाती है। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में इसका मरकज (अंतरराष्ट्रीय केंद्र) है, जहां से दुनियाभर के लिए जमात भेजी जाती हैं। तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद मूल रूप से शामली के कांधला कस्बा निवासी हैं। पूर्व में मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास, फिर मौला…
- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान मरीजों को स्वाइन फ्लू के लिए दी जाने वाली टेमी फ्लू दवा दी जा रही है और इसका असर भी हो रहा है। उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पीड़ित मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है।
डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान मरीजों को स्वाइन फ्लू के लिए दी जाने वाली टेमी फ्लू दवा दी जा रही है और इसका असर भी हो रहा है। उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पीड़ित मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है। " alt="" aria-hidden="true" />
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- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी
दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, वहीं भारत में इसको लेकर पहले से तैयारियों के बावजूद संक्रमित लोगों की संख्या 111 पहुंच चुकी है। इसको लेकर अलग अलग राज्यों और जिलों में आयसोलेशन वार्ड बनाए हैं। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में लग्जरी होटल जैसी सुविधाओं की चर्चा ह…