- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी

 दुनियाभर में कोरोना वायरस को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, वहीं भारत में इसको लेकर पहले से तैयारियों के बावजूद संक्रमित लोगों की संख्या 111 पहुंच चुकी है। इसको लेकर अलग अलग राज्यों और जिलों में आयसोलेशन वार्ड बनाए हैं।


दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में लग्जरी होटल जैसी सुविधाओं की चर्चा है। वायरस के इन्फेक्शन से ठीक हुए 45 साल के रोहित दत्त ने रविवार के जानकारी दी है कि जैसा कि मैंने सरकारी अस्पताल का हाल सोचा था सफदरजंग का आइसोलेशन वार्ड वैसा नहीं था। बल्कि वो किसी लग्जरी होटल से कन नहीं कहा जा सकता। वहां के स्टाफ ने काफी साफ सफाई मेनटेन की हुई थी। हर जगह सफाई थी और चादरें दिन में दो बार बदली जा रही थीं।


उन्होंने कहा कि 14 दिनों के आयसोलेशन में मैंने परिवार से अलग महसूस नहीं किया क्योंकि मुझे वहां फोन, वीडियोकॉल और नेटफ्लिक्स जैसी सभी सुविधाएं दी थीं। मयूर विहार के रहने वाले दत्ता ने रविवार को सारी जानकारी दी। वे दिन में दो बार प्राणायाम करते थे और चाणक्या नीति पढ़ते थे। 


- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी


दिल्ली के एक और कोरोना पीड़ित मरीज को ठीक होने का बाद अस्पताल से छुट्टी मिल गई है। दिल्ली स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि दिल्ली के 2 मरीज अब तक कोरोना के संक्रमण को हराकर ठीक हो चुके हैं। सफदरजंग अस्पताल से जिस दूसरे कोरोना पीड़ित मरीज को ठीक होने के बाद छुट्टी मिली है, वह उत्तम नगर इलाके का रहने वाला है। इस मरीज को मार्च के पहले सप्ताह में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती किया था और 6 मार्च को इसमें वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी।


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- इन लोगों के हौसलों से महामारी भी हारी डॉक्टरों ने कहा कि उपचार के दौरान मरीजों को स्वाइन फ्लू के लिए दी जाने वाली टेमी फ्लू दवा दी जा रही है और इसका असर भी हो रहा है। उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि कोरोना पीड़ित मरीजों का उनके लक्षणों के आधार पर उपचार किया जा रहा है।
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दरअसल, तब्लीगी जमात की शुरुआत 1927 में बताई जाती है। दिल्ली के निजामुद्दीन क्षेत्र में इसका मरकज (अंतरराष्ट्रीय केंद्र) है, जहां से दुनियाभर के लिए जमात भेजी जाती हैं। तब्लीगी जमात के अमीर मौलाना साद मूल रूप से शामली के कांधला कस्बा निवासी हैं। पूर्व में मौलाना साद के परदादा मौलाना इलियास, फिर मौलाना यूसुफ और 1965 में मौलाना यूसुफ का इंतकाल होने के बाद मौलाना इनामउल हसन ने तब्लीगी जमात की जिम्मेदारी संभाली। मौलाना इनामउल हसन ने 1993 में दस सदस्यों की कमेटी बनाई, जिसमें अलग- अलग देशों के लोगों को शामिल किया। भारत से मौलाना इनामउल हसन, मौलाना साद, मौलाना जुबैर और मौलाना अब्दुल वहाब को जगह दी गई थी।
कांधला निवासी मौलाना राशिद कांधलवी बताते हैं कि 1938 में तब्लीगी जमात की शुरुआत हुई थी। तब कांधला और थानाभवन के अलावा रामपुर के लोग इसमें शामिल हुए थे। सबसे पहली जमात कांधला के लोगों की ही निकाली गई थी। उन्होंने कांधला में आकर जमात का कार्य किया था।
वहीं 1995 में मौलाना इनामउल हसन का इंतकाल हुआ, जिसके बाद तब्लीगी जमात के प्रमुख बनने को लेकर विवाद भी हुआ था। 2015 में मौलाना जुबैर का इंतकाल होने पर कमेटी में अब्दुल वहाब ही बचे। खाली पदों को भरने के लिए भी विवाद हुआ और दो गुट बन गए। दूसरे गुट ने अलग होकर तुर्कमान गेट पर मस्जिद से जमात का काम शुरू कर दिया। तब से मौलाना साद ही तब्लीगी जमात के प्रमुख की जिम्मेदारी संभालते रहे।